गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को को मनाया जाता है।

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इस साल गोवर्धन पूजा का शुरुआत दोपहर 13 नवंबर दिन सोमवार से लेकर 14 नवंबर दिन मंगलवार को मनाया जायगा।

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जैसा की आपको पता ही होगा गोवर्धन पूजा का शुभ आरम्भ दीपावली के त्यौहार के समाप्ति के साथ ही होता है।

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गोवर्धन पूजा का त्यौहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग अलग तरीके से बहुत ही धूम धाम के साथ मनाया जाता है।

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भारत के कुछ राज्यों में इसे अन्नकूट (अनाज का ढेर), पड़वा, गोवर्धन पूजा, बाली प्रतिपदा, बाली पधामी और कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा के रूप में भी मनाया जाता है।

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पूरे उत्तर भारत में गोवर्धन पूजा के त्यौहार का बड़ा ही विशेष महत्व है क्योंकि इस पूजा के समाप्ति के साथ ही छठ पूजा के पावन त्यौहार का शुभ आरम्भ शुरू हो जाता है।

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ऐसे में बहुत सारे लोगों के मन में सवाल यह आता है की आखिर गोवर्धन पूजा का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और इसका क्या महत्व है।

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हिंदू धर्म ग्रन्थ के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण जी ने इस धरती पर मनुष्य रूप में अवतार लिया था और उनका अवतार लेने का मुख्य उद्देश्य यह था की धरती पर जितने भी पापी और राक्षस है उनका विनाश करना।

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भगवान श्रीकृष्ण जी ने इसके अलावा भी समय-समय पर अपनी लीला के माध्यम से कई देवी-देवताओं के घमंड को भी चूर चूर किया था।

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भगवान श्रीकृष्ण जी ने इंद्र देव जी के प्रकोप से होने वाली लगातार बारिश और बाढ़ से खेती और गाय चराने वाले गाँव वालो को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत उठया था। इसके बाद से ही गोवर्धन पूजा का त्यौहार मनाया जाता है।

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